दिल्ली पुलिस के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट की टीम ने 26 साल से फरार पैरोल जंपर अशोक कुमार यादव को गिरफ्तार कर लिया। वह 1994 में मादक पदार्थ तस्करी (एनडीपीएस एक्ट) के गंभीर मामले में दोषी करार दिया गया था और 10 साल की सजा सुनाई गई थी। आरोपी ने 1998 में पैरोल मिलने के बाद आत्मसमर्पण नहीं किया और फरार हो गया था।
20 जनवरी 1994 को दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके में करीमुल्लाह मजार के पास एक संदिग्ध व्यक्ति को स्कूल बैग के साथ पकड़ा गया। जांच में बैग से 1 किलो 250 ग्राम चरस बरामद हुई। पूछताछ में आरोपी ने अपना नाम अशोक कुमार यादव, निवासी अलापुर, जिला बदायूं (उत्तर प्रदेश) बताया।इस मामले में जामा मस्जिद थाने में एफआईआर दर्ज की गई और आरोपी को गिरफ्तार किया गया। 23 जनवरी 1995 को तीस हजारी कोर्ट ने अशोक को दोषी करार देते हुए 10 साल की कठोर कारावास और 1 लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। 1998 में, उसने उच्च न्यायालय से 30 दिन की पैरोल मांगी, जो उसे मंजूर हुई। पैरोल पर रिहा होने के बाद अशोक ने समय पर आत्मसमर्पण नहीं किया और लगातार फरार रहा।
पैरोल जंपर को पकड़ने के लिए एसएच. सुनील कुमार एसीपी/कमला मार्केट की देखरेख में टीम गठित की गई जिसमें आशीष कुमार दुबे एसएचओ/आईपी एस्टेट तथा एसआई मुकेश तोमर की निगरानी में एएसआई संजीव, एएसआई राजकुमार, एचसी अमित एक समर्पित टीम गठित की गई।
जांच के दौरान, पुलिस ने अशोक के मूल निवास और संभावित ठिकानों की निगरानी की। तकनीकी जानकारी और स्थानीय खुफिया सूचनाओं के आधार पर पता चला कि आरोपी भोपाल में रह रहा है।
भोपाल में अशोक ने अपनी पहचान बदल ली थी और इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम कर रहा था। उसने 2001 में वंदना यादव से शादी की और अपने परिवार के साथ हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, ऐशबाग में रहने लगा।टीम ने अशोक की गतिविधियों की लगातार निगरानी की और पता लगाया कि वह गैस सिलेंडर की खरीद में एचपी गैस वितरक का उपयोग कर रहा है। 5 दिसंबर 2024 को पुलिस ने हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में छापा मारकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
अशोक ने पूछताछ में बताया कि वह फरारी के दौरान लगातार अपना ठिकाना बदलता रहा और पुलिस को चकमा देता रहा। उसने अपनी मूल पहचान और रिश्तेदारों से भी नाता तोड़ लिया था।अंततः पुलिस की कड़ी मेहनत और तकनीकी विशेषज्ञता से उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
डीसीपी एम. हर्षवर्धन ने कहा, “यह एक चुनौतीपूर्ण मामला था, लेकिन हमारी टीम की समर्पित कोशिशों के कारण 26 साल से फरार अपराधी को पकड़ना संभव हुआ। कानून से भागने वालों को यह समझना चाहिए कि पुलिस की निगरानी से बचना असंभव है।”
आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। अब आगे की कानूनी प्रक्रिया जारी है।
यह गिरफ्तारी यह संदेश देती है कि कानून से बचने की कितनी भी कोशिश की जाए, अपराधियों को अंततः न्याय का सामना करना पड़ेगा।