दिल्ली के कारोबारी को CSR फंड में निवेश का झांसा देकर ठगा गया था, 43.20 लाख रुपये नकद, एंडेवर कार और हाई-एंड मोबाइल फोन बरामद
नई दिल्ली – सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट की साइबर पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए 69 लाख रुपये की ठगी करने वाले एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है। डीसीपी सेंट्रल डिस्ट्रिक निधन वल्सन ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने अहमदाबाद से एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उसके कब्जे से 43.20 लाख रुपये नकद, एक फोर्ड एंडेवर कार और दो महंगे मोबाइल फोन (सैमसंग फोल्ड-4 और आईफोन 14) बरामद किए हैं।
शिकायत के मुताबिक, दरियागंज स्थित एक कंपनी के सीओओ ने 8 जुलाई 2025 को साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जनवरी 2025 में महाराष्ट्र के कुछ लोगों – आशिष, अपूर्व, विनायक, विजय और तुषार – ने कंपनी से संपर्क किया और CSR फंड में निवेश का झांसा देकर मोटे मुनाफे का लालच दिया। इसके लिए उन्होंने कंपनी से प्रोजेक्ट रिपोर्ट, वित्तीय दस्तावेज़ और चेक आदि मांगे।
कई बार ज़ूम मीटिंग करने के बाद 24 फरवरी 2025 को आरोपी विजय ने तीन और लोगों – शोएब उर्फ़ सुषांत (हुबली निवासी), सईद (कोल्हापुर निवासी) और प्रकाश – को कंपनी के प्रतिनिधियों से मिलवाया। इन लोगों ने भरोसा दिलाया कि यदि तुरंत “सर्विस फ़ीस” कैश में दी जाए तो निवेश की राशि तुरंत कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
25 फरवरी को कंपनी के दो प्रतिनिधियों ने करोल बाग़ स्थित गोल्ड प्लाज़ा में 69 लाख रुपये नकद सौंप दिए। इसके बाद आरोपियों ने नकली RTGS/NEFT स्क्रीनशॉट भेजकर 49 लाख रुपये ट्रांसफर होने का दावा किया। लेकिन कंपनी के खाते में कोई रकम नहीं आई। इसके बाद आरोपी फरार हो गए और संपर्क करना बंद कर दिया।
गंभीरता को देखते हुए एसीपी ऑपरेशंस सुलेखा जगरवार, IPS के सुपरविजन में एक स्पेशल टीम बनाई गई। इसमें साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर संदीप पंवार, एसआई रणविजय सिंह, एचसी परविंदर, एचसी संदीप, कांस्टेबल अनुज और तकनीकी विशेषज्ञ एचसी योगेंद्र शामिल थे।
टीम ने तकनीकी और मानवीय दोनों तरह की सूचनाएँ जुटाईं और लगभग 15 दिनों तक अहमदाबाद और मुंबई में लगातार ऑपरेशन चलाया। आरोपी लगातार ठिकाने बदल रहा था, लेकिन पुलिस ने तकनीकी निगरानी के जरिये उसे ट्रैक कर लिया। 15 सितंबर 2025 को पुलिस ने अहमदाबाद से 32 वर्षीय जितेंद्र पांडे को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपी जितेंद्र पांडे मुंबई के मीरा रोड का निवासी है और मुख्य आरोपी मोनीश बडानी का ड्राइवर रह चुका है। पूछताछ में उसने बताया कि वह अपने साथियों – मोनीश बडानी, विक्रम, पिंटू, भूपेश और पारस – के साथ मिलकर अलग-अलग शहरों में अस्थाई दफ्तर खोलते थे। वहां वे कारोबारियों को CSR फंड में नकद निवेश का लालच देकर ठगते और फर्जी RTGS कन्फर्मेशन भेजते थे। ठगी करने के बाद दफ्तर बंद कर भाग जाते थे।
पुलिस ने बताया कि जितेंद्र को 69 लाख की इस ठगी में से 8.7 लाख रुपये हिस्से के तौर पर मिले थे। बाकी रकम उसके साथियों में बांटी गई। बरामदगी में नकदी और कार के अलावा उसके पास से दो महंगे मोबाइल फोन भी मिले हैं।
जांच में सामने आया कि गिरोह ने मुंबई में भी इसी तरीके से एक डॉक्टर से 3 करोड़ रुपये की ठगी की थी। इस मामले में पहले से ही नवी मुंबई पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज है। अहमदाबाद में भी आरोपी पर एक केस दर्ज है, जिसमें मास्टरमाइंड मोनीश बडानी पहले ही गिरफ्तार हो चुका है।
डीसीपी सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट निधन वल्सन ने बताया कि आरोपी से पूछताछ जारी है और बाकी फरार साथियों की तलाश की जा रही है। पुलिस का कहना है कि बाकी रकम की रिकवरी और पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करना अब प्राथमिकता है।