नई दिल्ली,डीसीपी सेंट्रल डिस्ट्रिक निधिन वल्सन ने बताया कि दिल्ली पुलिस के सेंट्रल जिले की थाना डीबीजी रोड और थाना साइबर की संयुक्त टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रचे गए साइबर-एक्सटॉर्शन के मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक आरोपी लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) से मास्टर डिग्री प्राप्त कर चुका है। तीनों आरोपी भारी कर्ज में डूबे थे और कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने थाईलैंड से व्हाट्सऐप कॉल और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए फिरौती मांगने की योजना बनाई।
पीएस डीबीजी रोड थाने में शिकायत दर्ज कराई गई कि शिकायतकर्ता को एक अज्ञात अंतरराष्ट्रीय व्हाट्सऐप कॉल आई, जिसमें कॉलर ने खुद को एक कुख्यात गैंगस्टर बताते हुए गंभीर धमकी दी। कॉलर ने कहा कि अगर उसकी मांगी गई रकम बिटकॉइन के जरिए नहीं दी गई, तो शिकायतकर्ता के बच्चों को गोली मार दी जाएगी। इसके साथ ही आरोपी ने एक क्यूआर कोड भी भेजा, ताकि पीड़ित क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान कर सके।
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज की और धारा 308(4) BNS के तहत जांच शुरू की। एसीपी पहाड़गंज शौरभ ए. नरेंद्र,और एडिशनल डीसीपी-II प्रशांत चौधरी के मार्गदर्शन में दो टीमें गठित की गईं—
तकनीकी टीम: पीएस साइबर की, जो कॉल और क्रिप्टो ट्रेल का पता लगाने में लगी।
मैदानी टीम:पीएस डीबीजी रोड की, जिसने आरोपियों की गतिविधियों और ठिकानों की निगरानी की।
टीम में इंस्पेक्टर रंधीर सिंह ( एस एच ओ दीबीजी ), इंस्पेक्टर संदीप (साइबर ), इंस्पेक्टर दिनेश कुमार , एसआई नवीन , एसआई राजेश, एचसी सुनीत, कांस्टेबल सौरभ और कांस्टेबल अनुप शामिल थे।
तकनीकी टीम ने एडवांस और पेड साइबर टूल्स का इस्तेमाल करके व्हाट्सऐप कॉल के सर्वर ट्रेल और क्यूआर कोड से जुड़े क्रिप्टो वॉलेट का पता लगाया। जांच में पता चला कि लेन-देन का रास्ता थाईलैंड से होकर भारत तक आता है। गृह मंत्रालय के i4C की मदद से पहले हुए क्रिप्टो लेन-देन का विश्लेषण किया गया, जिससे संदिग्धों की लोकेशन और पहचान स्पष्ट हुई।
इधर, मैदानी टीम ने भारत में संदिग्धों के घरों पर नजर रखी। जैसे ही आरोपियों की वापसी की सूचना मिली, उन्हें दिल्ली पहुंचते ही दबोच लिया गया।
1. सुमित (42 वर्ष) – निवासी वेस्ट पंजाबी बाग, दिल्ली, बी.कॉम ग्रेजुएट, ज्वेलरी व्यवसाय में। शिकायतकर्ता को जानता था।
2.प्रिंस (35 वर्ष) – निवासी रोशनारा रोड, पुलबंगश के पास, 9वीं फेल।
3.नितीश (31 वर्ष) – निवासी डीएलएफ कैपिटल ग्रीन, मोटी नगर, दिल्ली। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्रीधारक।
पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे तीनों भारी कर्ज में डूबे थे और जल्दी पैसा जुटाने के लिए उन्होंने इस साजिश को अंजाम देने का मन बनाया। योजना भारत में ही बनाई गई और पकड़े जाने से बचने के लिए वे थाईलैंड चले गए, वहां से अंतरराष्ट्रीय सिम खरीदी और व्हाट्सऐप कॉल करके धमकी दी। डर का माहौल बनाने के लिए एक कुख्यात गैंगस्टर का नाम लिया गया।
क्यूआर कोड जनरेट करने के लिए इस्तेमाल किया गया मोबाइल फोन।
अंतरराष्ट्रीय व्हाट्सऐप कॉल करने के लिए इस्तेमाल किया गया मोबाइल फोन।