धर्मांतरण जारी रहा तो भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी’, एक केस की सुनवाई के दौरान बोले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज
धर्मांतरण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेहद गंभीर टिप्पणी की है| अदालत ने कहा है कि अगर धार्मिक सभाओं में धर्मांतरण की प्रवृत्ति जारी रही तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी |
हाईकोर्ट ने कहा,’धर्मांतरण करने वाली धार्मिक सभाओं पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए. ऐसे आयोजन संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ हैं. यह अनुच्छेद किसी को भी धर्म मानने और पूजा करने के साथ-साथ अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है”|
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने हिंदुओं को ईसाई बनाने के आरोपी मौदहा, हमीरपुर के कैलाश की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। रामकली प्रजापति ने प्राथमिकी दर्ज कराई कि उसका भाई मानसिक रूप से बीमार था। उसे याची एक हफ्ते के लिए दिल्ली ले गया। परिवार से कहा कि इलाज कराकर गांव वापस भेज देंगे। उनका भाई वापस नहीं आया। भाई जब वापस आया तो गांव के अन्य लोगों दिल्ली में आयोजित आयोजन में ले गया। वहां उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया।
इतिहास धर्मांतरण को लेकर:
जाति निःशक्तता निवारण अधिनियम, 1850, ईस्ट इंडिया कंपनी शासन के तहत ब्रिटिश भारत में पारित एक कानून था| जिसने किसी अन्य धर्म या जाति में परिवर्तन होने वाले लोगों के अधिकारों को प्रभावित करने वाले सभी कानूनों को समाप्त कर दिया |
इस नए अधिनियम ने हिंदुओं को अनुमति दी गयी जो हिन्दू धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन हो गए, नए कानून के तहत विशेष रूप से विरासत के मामले में समान अधिकार प्राप्त होंगे |
इस कानून ने एक भारतीय को अनुमति दी जो ईसाई धर्म में परिवर्तन हो गया था और पूर्वजों की सम्पति को प्राप्त कर सकता था |
संविधान में नहीं कोई स्पष्ट अनुच्छेद:
भारत के संविधान में धर्मांतरण को लेकर कोई स्पष्ट अनुच्छेद नहीं है। अनुच्छेद 25 से लेकर 28 के बीच धार्मिक स्वतंत्रता का जिक्र किया गया है। इसमें बताया गया है कि अपनी स्वेच्छा से भारत के हर व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने, पालन करने और प्रचार-प्रसार करने की आजादी है। इसको लेकर कई बार राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने की अपील की गई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया है।
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